लखनऊ, जुलाई 6 -- सरकार भले ही 'एक पेड़ मां के नाम के स्लोगन के साथ वन महोत्सव अभियान मना रही हो, वहीं दूसरी तरफ लकड़ी माफिया सरकार की इस मंशा को तार-तार कर रहे हैं। मीरकनगर गांव जाने वाले रास्ते पर करीब 60 साल पुराने 'कलुआ आम का पेड़ था। इसने अपनी छांव से कई पीढ़ियों को शीतलता दी थी। 'कलुआ आम पर एक लकड़ी माफिया की नजर पड़ी और यह रातोंरात इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। यह कहानी इसी पेड़ की नहीं बल्कि दर्जनों हरे पेड़ों की है। इलाके के कई गांवों में पेड़ों की अवैध कटाई जोरों पर है। जब ग्रामीण या पर्यावरण पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएं इसका विरोध करती हैं तो लकड़ी माफिया तत्काल परमिशन होने की बात कहते हैं। जानकार बताते हैं कि ठेकेदार हरे पेड़ों के बाग को खरीद लेते हैं और जरा सी आंधी आने के बाद पेड़ गिरने की बात कहकर रातों-रात पूरे बाग को ...