आरा, सितम्बर 2 -- आरा। शहर के श्री 1008 दिगंबर जैन चंद्रप्रभु मंदिर में मंगलवार को धूप दशमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। यहां विराजमान मुनि श्री 108 विशल्यसागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए तप धर्म पर व्याख्यान करते हुए कहा कि ऊर्जा का रुपान्तरित करने का नाम तपस्या है। वहीं स्वयं में स्वयं के गवाह बनने का नाम भी तपस्या है। मन के सागर में उठती इच्छाओं की लहरों को समाप्त कर देने का नाम तपस्या है। व्यक्ति को तीन प्रकार का तप हमेशा करते रहना चाहिए। पहला शरीर का तप, दूसरा वाणी का तप और तीसरा मन का तप । ----- फुहां फुटबॉल : गड़हनी ने बिहिया को हराया बड़हरा, संवाद सूत्र। प्रखंड के फुहां गांव स्थित वीर कुंवर सिंह खेल मैदान पर फुटबॉल टूनामेंट का तीसरा लीग मैच गड़हनी और बिहिया के बीच हुआ । इस रोमांचक शानदार मुकाबले में गड़हन...