महाराजगंज, मार्च 3 -- महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। पवित्र माह रमजान में इस वर्ष रोजेदार लगभग साढ़े तेरह घण्टे भूख और प्यास की शिद्दत महसूस कर अपना रोजा मुक्कमल कर रहा है। रोजे से इंसान जिस्म की तमाम इन्द्रियों पर काबू पाकर अपने कल्ब को रूहानियत से मनौव्वर करना चाहता है। रोजेदार तलत एजाज का कहना है कि दुनिया जिस भूख और प्यास से डरती है। अल्लाह पाक ने उसे हमारे लिए इबादत बना दिया। इन्सानों को रोजा सिर्फ पेट का नहीं बल्कि अपने आंख, कान, नाक, जबान, हाथ, पैर का भी रखना चाहिए। अल्लाह और रसूले अकरम स. ने जिस काम के लिए मना किया है हाथ उसे न करें, पांव उसके नजदीक न जाये और जबान से गाली, गलौज, चुगली, गिबत न की जाये या कोई ऐसी बात न बोली जाएं। जिससें लोगों का दिल दुखे और उनकी आंखे नम हो जाये। रोजा हमारे ईमान की ताजगी व मजबूती के साथ बेहयायी व बेशरमी ...