सुल्तानपुर, मार्च 4 -- सुलतानपुर। रमज़ान इस्लाम में एक विशेष स्थान रखता है। यह केवल उपवास (रोज़ा) का महीना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और अल्लाह की निकटता प्राप्त करने का अवसर है। रमज़ान का असली उद्देश्य इंसान के भीतर अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता और तक़वा (ईशभय परहेज़गारी) को विकसित करना है। रमज़ान की हिकमत और उद्देश्य : रोज़े का असली मक़सद इंसान के भीतर संयम और अनुशासन पैदा करना है। जब कोई इंसान रोज़े के दौरान भूख और प्यास सहन करता है, तो वह अपने नफ्स इंद्रिय (इच्छाओं) को काबू में रखना सीखता है। यह सबक जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है-व्यक्ति अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए अल्लाह की इच्छा के अनुसार जीवन जीने की आदत डालता है। रआन में रोज़े के संबंध में कहा गया है: ऐ ईमान वालों! तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए जैसे कि तुमसे पहल...
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