सिद्धार्थ, मार्च 3 -- डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। रमजान अल्लाह की तरफ से सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए रहमत, बरकत और हमदर्दी का पैगाम लेकर आता है। असली इबादत तब है जब हम दूसरों के दर्द को महसूस करें और हर ज़रूरतमंद की मदद के लिए आगे बढ़ें। ये बाते रविवार को बैदौला स्थित गरीब नवाज शिक्षण संस्थान के सदर मौलाना मोहम्मद मकसूद अकरम ने कहीं। उन्होंने कहा कि रोजा सिर्फ भूखा-प्यासा रहने का नाम नहीं है बल्कि रोजा हमें यह अहसास दिलाता है कि भूख क्या होती है और गरीब व बेबस लोगों की तकलीफें कैसी होती हैं। रमजान हमें यह तालीम देता है कि हमारे पड़ोस में कोई भूखा न सोए, भले ही वो किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। इसी मुकद्दस महीने में कुरआन मजीद नाजिल हुआ जो सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए हिदायत, रह...
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