बगहा, मार्च 8 -- रेडीमेड फर्नीचर के बढ़ते प्रचलन ने परंपरागत फर्नीचर कारोबारियों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। लकड़ी की महंगाई और कारीगरों की मजदूरी बढ़ने से प्रतिस्पर्धा के बाजार में परंपरागत फर्नीचर कारोबारी टिक नहीं पा रहे हैं। वन विभाग के अंकुश के कारण ग्राहकों की डिमांड की लकड़ियां नहीं मिल पा रही हैं। लकड़ी का परमिट लेने में कई महीने गुजर जाते हैं। परंपरागत फर्नीचर कारोबारियों का कहना है कि हमलोगों के पास स्थायी दुकान नहीं है। ऐसे में बैंक लोन नहीं देता है। कमाई इतनी कम हो गई है कि सही ढंग से परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पा रहा है। परंपरागत फर्नीचर का कारोबार करनेवाले रामविलास शर्मा, गिरधारी शर्मा, छठू शर्मा ने बताया कि कागजी प्रक्रिया जटिल होने के कारण उद्योग का लाइसेंस नहीं मिल पाता है। झोपड़ीनुमा दुकान होने के कारण जीएसटी नहीं मिलता है। का...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.