रामगढ़, अगस्त 8 -- रामगढ़, प्रतिनिधि। नेमरा की धरती आज भी दिशोम गुरु शिबू सोरेन को पुकार रही है। वो मिट्टी, वो जंगल, वो पहाड़-हर चीज़ जैसे उनकी याद में डूबी हुई है। लेकिन सबसे ज़्यादा भावुक दिख रहा है आसमान। उनके जाने के बाद से नेमरा का आसमान जैसे हर दिन रो रहा है। आंखों से नहीं, बूंदों से। आंसू नहीं, बारिश बनकर। शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा वाले दिन जब उनका पार्थिव शरीर अंत्येष्टि स्थल की ओर ले जाया जा रहा था। तभी अचानक घने बादल छा गए। जैसे सूरज ने खुद को उनके वियोग में छिपा लिया हो। और फिर बूंदें टपकने लगीं। कभी धीमे, कभी तेज़। ऐसा लग रहा था कि खुद प्रकृति भी दिशोम गुरु को अंतिम विदाई देने आई है। वह विदाई अभी भी पूरी नहीं हुई है। क्योंकि उनके जाने के बाद से नेमरा की फिज़ा में हर दिन कुछ नम है। बादलों की आंखें सूखती ही नहीं। गांव के बुजुर्...