संभल, सितम्बर 15 -- गांव में फैली बीमारी हो या फिर गर्भवती महिलाओं का सेवा कार्य। सभी का साथ देने वाली आशा कार्यकर्ता अपने हक के लिए संघर्ष रही हैं। सरकार ने इनका मानदेय 18 हजार रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक जिम्मेदारों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। लगातार मानदेय बढ़ोत्तरी की मांग करने के साथ-साथ कई बार धरना प्रदर्शन भी किए। इसके बाद भी आशाओं का न तो मानदेय बढ़ा और न ही अन्य सुविधाएं मिल सकीं। हिन्दुस्तान टीम ने बोले संभल के तहत आशा कार्यकर्ताओं से बात की तो, उन्होंने अपनी परेशानी की कहानी खुलकर सामने रखीं। जिले में ग्रामीण क्षेत्र में 1934 व शहरी क्षेत्रों 263 आशा कार्यकर्ता कार्यरत हैं। स्वास्थ्य विभाग की तमाम योजना, अभियान, कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने का काम आशा कार्यकर्ता ही कर रही हैं। फिर चाहे वह गर्भवती महिलाओं ...