लखनऊ, सितम्बर 24 -- 200 वर्ष पुराने ऐतिहासिक भवनों को बचाने के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू की गई है। जहां वर्ष 1798 से 1814 के बीच बने छतर मंजिल और वर्ष 1847 से 1856 के बीच बने आलमबाग गेट में दरार भरने की विधि को इंटैक के वैज्ञानिक बताएंगे। पहले दिन कार्यशाला का उद्घाटन राज्य पुरातत्व निदेशालय के निदेशक रेनू द्विवेदी और इंटैक के धर्मेंद्र मिश्रा ने किया। इस दौरान पत्थर, चूना, ईंट, लकड़ी और मिट्टी से भवनों को बचाने पर जोर दिया गया। पहली बार नवाबों के शहर में बने ऐतिहासिक भवनों, इमारतों, बंगलों, विरासतों और धरोहरों को बचाने की विधि पुरातत्व विभाग और इंटैक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने की है। इंटैक रिसर्च ऑफिसर अंशिका ने बताया कि पत्थर, चूना, ईंट, लकड़ी एवं मिट्टी जैसी सामग्रियां भवनों की प्रामाणिकता को सुरक्षित रखने के साथ नमी औ...