प्रयागराज, मार्च 21 -- प्रयागराज, कार्यालय संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से स्वामी दयानंद के दो सौवें वर्ष के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न सत्रों में नवजागरण, आर्यसमाज, स्त्री प्रश्न जैसे विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। मुख्य अतिथि प्रो. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि आर्य समाज सनातन का ही प्रगतिशील चेहरा है। आर्य शब्द किसी खास जाति का सूचक नहीं बल्कि सद्गुणों से युक्त व्यक्ति से है। डॉ. संजय सक्सेना ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में आर्यसमाज की भूमिका का उल्लेख किया। डॉ. सुरेश कुमार ने जात पात तोड़क मंडल पर हिंदी के लेखकों के विचार का उल्लेख करते हुए कहा कि संतराम ने अंतरजातीय विवाह का समर्थन, रोटी-बेटी के संबंध का समर्थन और जाति प्रथा के समूल नाश का संकल्प लिया। डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने 1930 ...