कौशाम्बी, जून 19 -- जन सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) की गंभीरता अब जिम्मेदारों के लिए मजाक बनती जा रही है। आरटीआई आवेदन करने के बाद भी आवेदकों को समय पर सूचना नहीं मिल रही, उल्टे उन्हें बार-बार कार्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर किया जा रहा है। शिकायतें अफसरों तक पहुंचने के बावजूद संबंधित कर्मचारियों पर कोई प्रभाव नहीं दिख रहा। आवेदकों को यहां तक कह दिया जाता है कि "आवेदन तो कर दिया है, अब जब रिपोर्ट तैयार होगी, तभी सूचना मिलेगी। ऐसे बेतुके जवाब आम हो चले हैं। स्थिति यह है कि दर्जनों आरटीआई आवेदन लंबे समय से लंबित हैं और संबंधित अधिकारी इस मामले को लेकर बेहद लापरवाह नजर आ रहे हैं। अधिकतर मामलों में प्रथम अपील के बाद ही अधिकारी अपने अधीनस्थों को चेतावनी देते हैं या कार्रवाई की दिशा में कदम उठाते हैं। सूचना पर कुंडली मारकर बैठा सचिव सिराथू ब्...