दरभंगा, दिसम्बर 20 -- दरभंगा। रामकथा सत्संग महोत्सव के सातवें दिन शुक्रवार को आचार्य वेदानंद शास्त्री 'आनंद' ने आध्यात्मिक शक्ति से परम तत्व को प्राप्त कर लेने के साथ ही लघुता का एहसास ग्गोस्वामी तुलसी दास के चरित्र से दिया। उन्होंने कहा कि सत्संग से जीवन में परिणिति सपष्ट होती है। प्रत्येक मानव को अपना तन, मन, धन और अपना सभी कर्म भगवान को समर्पित करना चाहिए अर्थात पूर्णतया अपने आपको भगवान को समर्पित कर देना चाहिए। भगवान के आश्रित जीव निर्भय होकर अपनी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। हमें भगवान के अस्तित्व और दृश्य अदृश्य रूप में कभी शंका नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे सदैव सभी जीवों के क्रियाकलापों का निरीक्षण एवं परिणाम को अदृश्य रूप से संचालित करते हैं।
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