शामली, जुलाई 10 -- संत स्वरूपानंद गिरी ने कहा आध्यात्मिक गुरु सांस्कृतिक धरोहर है। सद्गुणी, सात्विक चिंतन और सद्गुरु की कृपा से मन की दिशा बदली जा सकती है। सद्गुरु शिष्य के मन में सत्य को पाने की लालसा पैदा करते हैं। धार्मिक भक्त समाज के नेतृत्व में आयोजित सत्संग के दूसरे दिन मंगलवार शाम को सत्संग में प्रवचन करते हुए संत स्वरूपानंद गिरी ने श्रद्धालुओं को जीवन में आध्यात्मिक गुरु के महत्व को समझाया। संत ने कहा कि मन और आत्मा अलग-अलग है। आध्यात्मिक जीवन में मन की दिशा को बदलने से मुक्ति मिलती है। सतगुरु आयोग्य शिष्य को योग्य शिष्य बना देते हैं। संत ने प्रवचन में बताया कि माता-पिता और गुरु कभी अपने बच्चे या शिष्य का बुरा नहीं चाहते। जिस प्रकार माता-पिता बच्चों की संभाल करते हैं। ठीक वैसे ही आध्यात्मिक गुरु भी जीवन में शिष्य की संभाल करते हैं...
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