गिरडीह, मार्च 14 -- गावां। आज के आधुनिक युग में गुजरे जमाने की होली मनाने की पुरानी परंपरा विलुप्त होती दिख रही है। दो दशक पूर्व फागुन माह प्रवेश करते ही लोग होली त्योहार की तैयारी में जुट जाते थे। लोगों में त्योहार को लेकर काफी उत्साह रहता था। लेकिन आज के दौर में गुजरे जमाने की होली मनाने की परंपरा लगभग समाप्त हो चुकी है। बुजुर्गों ने बताया कि आज से करीब दो दशक पूर्व फागुन माह प्रवेश करते ही होली की तैयारी शुरू हो जाती थी। पुरानी संस्कृति के अनुसार शाम ढलते ही होली गीत गाने वालों की टोली जुटती थी। देर रात तक गीत गाने का दौर चलता रहता था। देवी-देवताओं पर आधारित होली गीत गाए जाते थे। इसमें बुजुर्ग, युवा व बच्चे एक साथ बैठते थे। यहां तक कि एक परिवार के लोग साथ में होली गीत गाते थे। इस दौरान महिलाएं भी गीत सुनने के लिए पहुंचती थीं। अभी भी ग्...