बांका, अक्टूबर 14 -- बांका, नगर प्रतिनिधि। रोशनी के पर्व दिवाली भारत की सबसे प्रमुख और उल्लासपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व सिर्फ पटाखों और दीयों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं के मूल्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है। इन्हीं परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है "मिट्टी के घरौंदे बनाना"। जिसे करीब डेढ़ दशक पहले के समय में बच्चे और बड़े मिलकर मिट्टी से छोटे-छोटे घर बनाते थे जिन्हें "घरौंदा या घरकुण्डा" कहा जाता था। इन घरों को रंग रोगन करते हुए दीयों व फूलों की सजावट से सजाया जाता था। साथ ही दीपावली की रात इन पर विभिन्न प्रकार के दीपक जलाए जाते थे। यह न केवल एक सांस्कृतिक गतिविधि थी, बल्कि परिवार और समुदाय को जोड़ने वाली परंपरा भी थी। लेकिन आज के समय में यह सुंदर परंपरा लगभग लुप्त होती जा रही है। आधुनिकता, ...