सोनभद्र, सितम्बर 8 -- घोरावल, हिन्दुस्तान संवाद। भगवान गणेश की पूजा विभिन्न युगों में आदि देव के रूप में होती रही है। भगवान गणेश बिध्न विनाशक, प्रथम पूज्य के रूप में विद्यमान रहे हैं। विघटित एवं संगठित समाज को संगठित करने के लिए भगवान गणेश के बुद्धि, विवेक और ज्ञान की नितांत आवश्यकता है। घोरावल नगर स्थित महाविघ्नेश्वर पूजा समिति के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि काशी सुमेर पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज और देश में विनाशकारी शक्तियां सर उठा रही है। देश के संपन्नता और तरक्की को देखकर आश्चर्य चकित हैं। देश के विरुद्ध पश्चिमी देशों द्वारा संयंत्र रचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में पूरे देश को एकजुट होकर सामना करना होगा। भगवान गणेश को दूर्वा बहुत पसंद है। दूर्वा की यह विशेषता है कि चाह...
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