जमशेदपुर, अक्टूबर 24 -- जमशेदपुर के आसपास के आदिवासी बहुल इलाकों में तीन दिनों से सोहराय पर्व की धूम है। संथाल आदिवासी समाज के लोगों ने सोहराय पर्व पर बैलों की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर हर्षोल्लास से खूंटाव (बंदना पर्व) का आयोजन किया गया। सरजामदा, डिमना, बालीगुमा, गोकुलनगर और छोलागोड़ा समेत कई इलाक़ों में खूंटाव देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे। खूंटाव के पहले बैलों का श्रृंगार कर पूजा की गई। इसके बाद खूंटे में बांध कर उन्हें नचाया गया। सोहराय गीतों पर पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल, मांदर की थाप पर पारंपरिक सोहराय गीतों पर बैलों को नचाया गया। खूंटाव के बाद सोहराय नृत्य का आयोजन हुआ। सोहराय पर्व पर आदिवासी किसान गाय-बैलों को सिंदूर, तेल व रंगों से आकर्षक रूप से सजाते हैं। सोहराय और बादना के मौके पर गाय-बैल को सजाने के बाद लोग गोहाल जागरण क...