नई दिल्ली, जुलाई 5 -- जब कभी कश्मीर का जिक्र आता है, अनायास उसके दो अक्स दिमाग में उभरते हैं- बेमिसाल कुदरती खूबसूरती से आबाद धरती और दूसरा, खौफ से सहमी-सहमी घाटियां। दोनों एक-दूसरे के बिल्कुल उलट। मगर इन दोनों स्थितियों के बीच भी वहां बहुत कुछ ऐसा है, जिनसे जमाना बेखबर है। इसके कई दुर्गम इलाकों में लोग बसे हैं। जी रहे हैं। उनके अपने सपने हैं, अपनी मायूसियां हैं और जिंदगी से उम्मीदें भी। ऐसे लोगों के लिए किफायतुल्लाह मलिक की सेवाएं कितनी अहम हैं, यह आप खुद तय कीजिए। अलबत्ता, उनकी सोच और सेवाओं की सराहना भारत सरकार ने भी की है। राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित होने वाले वह कश्मीर विश्वविद्यालय के पहले छात्र हैं। आज घाटी के सबसे अशांत जिलों में से एक है बांदीपोरा। मगर यह उसकी सही पहचान नहीं है। इसे तो गुरेज घाटी से ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.