देवघर, सितम्बर 8 -- स्थानीय जैन मंदिर में दशलक्षण पर्यूषण महापर्व का आयोजन किया गया। जिसक प्रारंभ उत्तम क्षमा से हुआ तथा समापन क्षमा वाणी से हुआ। इस प्रकार पूरे पर्यूषण पर्व के दौरान क्षमा शब्द दो बार आया। उत्तम क्षमा और क्षमा वाणी में अंतर यह है कि उत्तम क्षमा में हमें क्षमा करनी होती है और क्षमा वाणी में क्षमा मांगनी होती है। वस्तुत: उत्तम क्षमा के दिन हमारी सामर्थ होने पर भी सामने वाले के दुर्वचन और दुर्व्यवहार को सहते हुए मन में कलुषता नहीं आने देना होता है। अपने मन में क्षमा भाव धारण करके मन को शांत रखना होता है और महापर्व के अंत में क्षमा वाणी के दिन हम स्वयं पहल करके क्षमा मांगते हैं। ताकि आपसी मनमुटाव दूर हो तथा बंद हो चुकी बातचीत फिर से शुरू हो और अरसे से जमी हुई बर्फ पिघल सके। इस प्रकार पर्यूषण का पहला दिन आत्म शुद्धि का है तथा ...