शामली, अगस्त 4 -- रविवार को शहर के जैन धर्मशाला में 29वें दिन प्रवचन करते हुए श्रमण मुनि श्री विव्रत सागर ने जीवन में सरलता के महत्व पर जोर देते हैं। उन्होने कहा कि सफलता का जीवन आवश्यक हैं। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि जीवन जीना सरल है, लेकिन सरल जीवन जीना बहुत कठिन है। अक्सर लोग जीवन बड़ी सरलता से काट लेते हैं, लेकिन सच्चा सरल जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। मुनिराज दश लक्षण पर्वों में सुनाई जाने वाली पंक्तियों का उल्लेख करते हैं, जो कपट को अधर्म और सरल भाव को धर्म बताती हैं। वे सवाल उठाते हैं कि लोग इन बातों को भगवान या पड़ोसियों को क्यों सुनाते हैं, बजाय स्वयं अपने जीवन में अपनाने के। उनका मानना है कि धर्म व्यक्ति को स्वयं सुनना चाहिए। गुरुदेव समझाते हैं कि जो भाव आत्मा से दूर करें वे अधर्म हैं और जो आत्मा के निकट लाएँ वे धर्म हैं।...
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