बलरामपुर, नवम्बर 30 -- बलरामपुर, संवाददाता। नगर के भगवतीगंज में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक राघवाचार्य जी महाराज ने इस कपिल अवतार का दिव्य प्रसंग का वर्णन किया। कहा कि मनु-शतरूपा की पुत्री देवहूति का विवाह ऋषि कर्दम से हुआ था। नौ कन्याओं के जन्म के बाद दसवें पुत्र के रूप में भगवान कपिल प्रकट हुए, जिन्होंने जगत को सांख्य दर्शन का गूढ़ ज्ञान दिया। कहा कि आत्म-चिन्तन, संयम और सेवा ही सच्चे जीवन का सार है। वेदव्यास ने कथा में ध्रुव चरित्र का मार्मिक प्रसंग सुनाया गया। कहा कि ध्रुव की दृढ़ भक्ति, कठिन तपस्या और भगवान के प्रति उनके अटूट समर्पण का वर्णन करते हुए कहा कि बालक ध्रुव ने विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं छोड़ी और निरंतर साधना के माध्यम से भगवान को प्राप्त किया। जैसे ही ध्रुव के भगवान से साक्षात्कार का प्रसंग आया...