सहारनपुर, दिसम्बर 6 -- श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग के दौरान कथा वाचक ने कहा कि भक्ति ही जीवन का आधार और मानव भक्ति भाव से ही आत्मा के परमात्मा से मिलन का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। होली चौंक पर श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक आचार्य सुधीर शर्मा ने कहा कि प्रभु के सिमरन के लिए ही हमें यह मानव जीवन मिला है लेकिन लोभ और मोह के वशीभूत होकर हम यह सब भूलकर बार-बार जीवन-मरण के चक्र में फंसते है और दुखों को प्राप्त करते है। उन्होंने कहा कि जब हमें यह मानव योनि प्राप्त हुई है तो हमें उस परमात्मा से अपनी आत्मा के मिलन का प्रयास भी करना चाहिए। उन्होने परिक्षित की कथा और कलियुग के आरंभ होने की कथा सुनाई। कथा के दौरान गाए भजनों पर श्रोता झूम उठे। कथा से पूर्व कथाव्यास का माल्यार्पण किया गया।

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