लखनऊ, सितम्बर 10 -- भारत में आत्महत्या मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण है, हर 40 सेकंड में एक आत्महत्या की घटना सामने आती है। तनाव, अवसाद और चिंता होना असामान्य नहीं है, बल्कि यह जीवन का हिस्सा हैं। जरूरत है कि हम इन्हें नियंत्रित करना सीखें और अपने आसपास संघर्ष कर रहे लोगों को सहानुभूतिपूर्वक सहयोग दें। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेने के लिए प्रेरित करें या कम से कम उनके साथ उपस्थित रहें। यह बातें बीबीएयू में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता डॉ. नेहा आनंद ने कही। वह आत्महत्या पर विचार बदलना विषय पर जागरुकता कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं। उन्होंने बताया कि आत्महत्या के मामलों में पुरुष अधिक संख्या में मृत्यु को प्राप्त होते हैं, जबकि महिलाएं अधिक संख्या में प्रयास करती हैं। खाद्य एवं पोषण विभ...