सिमडेगा, मार्च 12 -- सिमडेगा, प्रतिनिधि। सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए दोपहर का भोजन तैयार करने वाली रसोईयों को पिछले छह माह से मानदेय के लाले पड़े हैं। जबकि सभी रसोईयाएं रोजाना अमूमन छह से सात घंटे स्कूलों में रहकर प्रधानाध्यापक का दबाव झेलती हैं। इसके एवज में उन्हें प्रतिमाह दो हजार यानि प्रतिदिन के हिसाब से महज 67 रुपए प्राप्त होता है। जबकि इन रसोईयों से ज्यादा राशि घर बैठे रहने वाली महिलाओं एवं बहनों को मंईयां सम्मान योजना के रुप में दी जाती है। रसोईयाओं को मानदेय राशि भी साल में सिर्फ दस माह का दिया जाता है। बेलगाम महंगाई के दौर में महज दो हजार रुपए में एक व्यक्ति का दाल-रोटी का प्रबंध करना भी मुश्किल है। ऐसे में वे खुद के लिए कपड़े, दवा और अन्य खर्च कैसे पूरा करेंगी। मानदेय के अतिरिक्त उन्हें अन्य किसी सरकारी योजनाओं का भी लाभ...
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