बगहा, सितम्बर 20 -- हर पल अपनी जान को जोखिम में डालकर आटा चक्की चलाने वाले कामगार और उस प्रतिष्ठान के मालिकों की समस्याओं की फेहरिस्त लंबी है। बेतिया शहर में फिलहाल डेढ़ सौ से अधिक आटा चक्की का संचालन किया जा रहा है। सरकारी सुविधाओं के नाम पर उन्हें कोई विशेष रियायत नहीं मिल रही। एक समय था जब आटा चक्की का कारोबार सबसे बेहतर माना जाता था, लेकिन ब्रांडेड कंपनियों के पैकेट में आटा बाजार में उपलब्ध होने के बाद आटा चक्की चलाने वाले उद्यमियों को मंदी वआर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। चक्की के पास रहने वाले कामगार या संचालक को सांस की बीमारी जल्द ही हो जाती है। कारण कि उससे निकलने वाले डस्ट और आंटा नाक के जरीय फेफरे में समा जाता है। चक्की चलने तक दोनों हाथ आटा से सने रहते हैं। इससे उन्हें चर्मरोक की भी शिकायत हो जाती है। राजेंद्र कुमार, चंपा दे...
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