महाराजगंज, मार्च 11 -- महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। पवित्र माह रमजान का पहला असरा जिसे बरकत या रहमत का असरा कहते हैं वह मंगलवार को रुखसत हो जायेगा। फिर मगफिरत के असरे की आमद होगी। पहले असरे के दस दिन में एक ओर जहां रोजेदार भूख और प्यास की शिद्दत झेल कर खुद को जिस्मानी और रूहानी तौर पर अल्लाह की इबादत के लिए खुद को तैयार कर लेता है और अल्लाह से रहमत और बरकत की सदाएं तिलावत,तराबीह और नफली इबाद से तलब कर लेता है। वहीं दूसरे असरे में वह अपने गुनाहों की मगफिरत के लिए रब से अपने गुनाहों की माफी के लिए रोता और बिलखता है। ऐ अल्लाह मेरे पिछले गुनाहों की माफी कर दे। इस्लामिक मामलों के जानकार तलत एजाज का कहना है कि रमजान में कुरआन पाक का पढ़ना, सुनना, समझना और उस पर अमल करना सबसे बड़ी इबादत है। अल्लाह ने मालदारों के उपर ही गरीबों की खुशी का भी जिम्मा ...
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