बांका, अगस्त 9 -- बांका, एक संवाददाता। देश को आजाद हुए सात दशक से अधिक बीत चुके हैं। सरकारें बदलीं, नीतियां बदलीं, योजनाओं की भरमार हुई, परंतु आज भी कई गांव ऐसे हैं जो विकास के नाम पर केवल कागजों में ही दर्ज हैं। बांका प्रखंड अंतर्गत जमुआ पंचायत का कारीझांक महादलित गांव इन्हीं उपेक्षित गांवों में शामिल है। करीब दो हजार की आबादी वाला यह गांव आज भी बदहाल सड़कों, प्राथमिक शिक्षा के अभाव और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। विकास के सारे दावे यहां आकर खोखले साबित हो जाते हैं। कारीझांक गांव में पहुंचने के लिए न सड़क है, न ढंग का रास्ता। बरसात के दिनों में यह गांव दलदल बन जाता है। मुख्य सड़क से गांव तक पहुंचने वाला रास्ता घुटनों तक कीचड़ से भरा रहता है। गांव के लोग खेतों की पगडंडी को ही बेहतर विकल्प मानते हैं। खासकर बरसात के मौसम में यह ...