चंदौली, अगस्त 15 -- धानापुर, हिन्दुस्तान संवाद। आजादी की लड़ाई और देश की आन बान और शान के लिए कई वीर शहीद हुए लेकिन उनके नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हुए। उनमें धानापुर में ऐतहासिक गोली कांड में शहीद हुए तीन रणबाकुरों का नाम आज तक किसी इतिहास के पन्ने में नहीं है। इससे धानापुर के लोग अब भी आहत हैं। ग्रामीण और बुजुर्ग कहते हैं कि अब उनके अपने वंशज भी धीरे-धीरे उनके गौरवपूर्ण संघर्षगाथा को विस्मृत करते जा रहे हैं। इस कांड में रणबाकुरों के हौसलों को देखकर अंग्रेज पुलिस थाना छोड़कर भाग गई थी। बुजुर्ग बताते हैं कि 16 अगस्त सन 1942 में आजादी के लिए हुए जिले के ऐतिहासिक धानापुर कांड की गूंज देश और दुनिया तक पहुंची थी। जब हिंगुतरगढ़ के हीरा सिंह, भदाहू के मंहगू सिंह, और कटरिया के रघुनाथ सिंह जैसे वीर सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत की गोलियां खा...
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