धनबाद, अगस्त 15 -- 15 अगस्त 1947 की वह सुबह बहुत ही खास थी। हर गली में जय हिंद के नारे गूंज रहे थे। हर हाथों में तिरंगा लहरा रहा था। उस वक्त महज 13 साल के रहे लक्ष्मण प्रसाद ने कहा कि आजादी की खशी हर ओर दिख रही थी। लोगों को इस बात का सुकुन था कि अंग्रेजों की गुलामी से अब आजादी मिल गई। आजादी की वह पहली सुबह आज भी इनके जेहन में है। उस दिन की खुशी आजतक महसूस कर रहे हैं।आजाद हिंद फौज से जुड़ा था परिवार शहर के पॉलीटेक्निक रोड में रहने वाले 90 वर्षीय लक्ष्मण प्रसाद का परिवार नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज से जुड़ा हुआ था। लक्ष्मण प्रसाद बताते हैं कि उनके दादा 1902 में बर्मा गए थे। सुभाष चंद्र बोस जब आजाद हिंद फौज का गठन किया तो बर्मा में उनका ऑफिस मेरे दादा के मेमयो शहर स्थित घर पर था। सुभाष चंद्र बोस जब बर्मा आते थे तब वहीं पर बैठक कि...
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