नई दिल्ली, सितम्बर 24 -- तीखी बयानबाजी के लिए चर्चा में रहने वाले आजम खां की रिहाई यूपी की सियासत पर क्या असर डालेगी?यह एक यक्ष प्रश्न हैं लेकिन इतना जरूर है कि सपा उनके सहारे मुस्लिम मतों के संभावित बिखराव को साधने की कोशिश करेगी। वहीं आजम के बयानों से भाजपा हिन्दू मतों के ध्रुवीकरण का लाभ उठाने का प्रयास करे तो हैरत नहीं। यह बात दीगर है कि 77 वर्ष के हो चले आजम खां के सामने खुद और बेटे अब्दुला आजम के सियासी भविष्य को बचाने की भी चुनौतियां कम नहीं हैं।सपा मुस्लिम मतों का बिखराव रोकने में होगी आसानी आजम भले ही 23 माह बाद जेल से छूटे हैं लेकिन रामपुर और प्रदेश के अन्य जिलों में मुस्लिमों युवाओं में उनके समर्थकों की कमी नहीं है। यही वज़ह है कि आज़म सपा में रहने के दौरान हमेशा दबाव के जरिये अपनी अहमियत बनाए रहे। वर्ष 2009 में उनके पार्टी छोड...