आजमगढ़, मार्च 27 -- आजमगढ़ ,संवाददाता। जिले में रंगमंच का इतिहास करीब 89 साल पुराना है। इस सफर में कई बार संसाधनों के अभाव में रंगमंच की परंपरा को झटका भी लगा, लेकिन तंगहाली में भी जिले के उभरते कलाकारों ने नाट्य संस्था गठित कर रंगकर्म को जिंदा रखने का प्रयास किया। आज भी रंगकर्म नई पौध तैयार हो रही है। जिले में वर्ष 1936 में चंडेश्वर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य स्व. गंगाराम सक्सेना और नगर के वेस्ली इंटर कालेज के शिक्षक ईएल दास ने संयुक्त रूप से रंगकर्म की नींव रखी थी। इसके बाद 50 के दशक में डा.एसके साहा ने बंग सोसाइटी की शुरुआत की। दुर्गापूजा पर बांग्ला नाटक का मंचन होता रहा। 80 के दशक में शशिभूषण श्रीवास्तव उर्फ प्रशांत, शंकर पांडेय, ओमप्रकाश पांडेय ने नवनाट्य संस्था के जरिए युवाओं को रंगकर्म की ट्रेनिंग देनी शुरू की। इसी दौर में जिले में...