मुजफ्फरपुर, जनवरी 31 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के सानिध्य में जब शाम में निराला निकेतन में नए रचनाकार बैठते थे तो उनकी रचनाओं को शास्त्री जी सही करते थे। आचार्य श्री के सानिध्य में रचनाकारों की एक पूरी पीढ़ी तैयार हुई थी। उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर साहित्यकारों ने याद करते हुए ये बातें कहीं। साहित्यकारों ने कहा कि बहुआयामी प्रतिभा संपन्न शास्त्री जी बड़े ही संवेदनशील कवि थे। उनका आवास निराला निकेतन साहित्य तीर्थ के रूप में हिंदी जगत में प्रसिद्ध है। पूरे देश से साहित्यकार यहां आते रहते थे और आचार्य जी से घंटों संवाद करते हुए अपनी रचनात्मक प्रतिभा को विकसित करते थे। हिंदी गीत, कविता के शिखर पुरुष जानकीवल्लभ शास्त्री अपने लेखन के लिए विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर को चुनौती के रूप में देखते थे। मानवेतर प्राण...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.