पटना, जुलाई 13 -- साहित्यकार आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद भारत को अंदर से मजबूत करना चाहते थे। उनकी चिंता के केंद्र में भारत की आंतरिक कमजोरियों की पड़ताल करना था। उनके सभी उपन्यासों में इस बात के लिए चिंता दिखाई पड़ती है कि जब-जब भारत अंदर से कमजोर हुआ है, तब बाहरी आक्रांताओं ने भारत को पराजित कर दिया। ये बातें रविवार को आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद शोध संस्थान की ओर से आयोजित तृतीय व्याख्यानमाला में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहीं। मौके पर राज्यपाल ने कहा कि 'श्रावस्ती का विजय पर्व' उपन्यास में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कैसे राजा सुहेलदेव ने एक बार बाहरी आक्रमणकारियों को पराजित किया, तो लगभग दो सौ वर्षों तक बाहरी आक्रमणकारी भारत आने की हिम्मत नहीं जुटा सके। विधान परिषद् के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद के साथ ब...
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