बागपत, अगस्त 20 -- नगर के कौशल सभागार में धर्म सभा आयोजित की गई। परम पूज्य मुनि 108 नयन सागर महाराज ने 16 कारण भावनाओं में से ग्यारहवीं भावना आचार्य भक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। जिसे सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही। मुनि ने समझाया कि आचार्य भक्ति का अर्थ है आचार्य के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति भाव रखना। कहा कि आचार्य ज्ञान और तपस्या में श्रेष्ठ होते हैं और उनकी भक्ति करने से व्यक्ति को सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र की प्राप्ति होती है, जो मोक्ष के मार्ग पर चलने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। बताया कि आचार्य शास्त्रों का गहन अध्ययन कर चुके होते हैं और वे स्वयं उत्कृष्ट आचरण का पालन करते हैं। इस भक्ति में आचार्य के उपदेशों का पालन करना, उनकी आज्ञा का आदर करना उनके दिखाए गए मार्ग पर चलना शामिल है। धर्म सभा में...