गोरखपुर, मार्च 25 -- गोरखपुर, निज संवाददाता। भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार की 54वीं तिरोधान तिथि के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन सोमवार को हुआ। कथा में पूज्य गोवत्स श्रीराधाकृष्ण महाराज ने कहा कि दुर्वाषा ऋषि के शाप से यदुवंश का विनाश हो गया। भगवान ने कहा कि मेरी उपस्थिति में इनके आचरण यदि ऐसे रहें तो ठीक है पर यदि आचरण भ्रष्ट हो जाए तो वह ठीक नहीं है। आशीर्वाद आचरण से फलित होता है। कहा कि जीवन में अच्छे आचरण का बड़ा महत्व है। नियमित उपासना से आचरण भी अच्छा होता है। सत्संग में संग का विशेष स्थान होता है। भक्त को सदैव ईश्वर की भक्ति में रमना चाहिए। यह वो धन है जो सदैव सुख देता है। जब भगवान को भोग लगाया जाता है तो सिर्फ वही तृप्त नहीं होते उनके अन्दर जितने तत्व हैं वे सभी तृप्त होते हैं। कथा में उमेश कुमार सिंह...
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