अमरोहा, जून 26 -- शहर के कमोबेश सभी इमामबाड़ों में मोहर्रम को लेकर जारी तैयारियां आखिरी दौर में चल रही है। मोहर्रम का चांद नजर आते ही शिया समुदाय गम में डूब जाएगा। वहीं, प्रशासन जहां जुलूस रूट पर व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने में जुटा है तो वहीं पुलिस अफसर सुरक्षा का खाका खींच रहे हैं। 1400 साल पहले कर्बला में हुई इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में शहर में हर साल मातमी जुलूस निकाले जाते हैं। ईद-उल-अजहा के बाद से ही शिया समुदाय में इसे लेकर तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इमामबाड़ों की रंगाई-पुताई कराने के साथ ही उन्हें बेशकीमती झाड़-फानूस से सजाया जाता है जो खास तौर पर डेनमार्क व बेल्जियम से मंगाए गए है। मोहर्रम इस्लामिक कलेंडर के मुताबिक साल का पहला महीना होता है। चांद दिखने के बाद से ही इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजन किया जाता है। जिस...