नई दिल्ली, मार्च 3 -- बांदा, वरिष्ठ संवाददाता। 'मेरी बेटी शाहजादी अबूधाबी की जेल से दो-तीन महीने में एक बार कॉल करती थी। उसकी आखिरी कॉल 14 फरवरी को आई। उस दिन वह रो-रोकर अपनी बेगुनाही बता रही थी। उसने कहा था कि मेरे मालिक का बच्चा बीमारी से मरा और मुझ पर कत्ल का इल्जाम लगा दिया। किसी ने मेरी बात नहीं सुनी और कोर्ट ने फांसी का हुक्म दे दिया है। अब कभी भी ये लोग मुझे फांसी पर लटका देंगे। 70 साल के शब्बीर यह बताते हुए फफक पड़े। मटौंध थानाक्षेत्र के गोयरा मुगली गांव निवासी शब्बीर अहमद ने बताया कि उनकी बेटी शाहजादी की उम्र 33 वर्ष थी। बचपन से ही जैसे बदनसीबी उसका पीछा कर रही थी। वह बचपन में एक दुर्घटना में जल गई। हम बेहतर इलाज नहीं करा सके तो उसका रूप-रंग खराब हो गया। उसने हालात से मिली बदसूरती के साथ जीना भी सीख लिया था लेकिन किस्मत में उसकी प...