गौरीगंज, अक्टूबर 6 -- मुसाफिरखाना,संवाददाता। प्रतिभा और कला किसी की मोहताज नहीं होती, यह बात कस्बे के वार्ड नं. 9 निवासी राजेंद्र प्रसाद कौशल पर बिल्कुल सटीक बैठती है। एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजेंद्र प्रसाद बीते चार दशक से अधिक समय से निरंतर अपनी अनोखी कला से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। राजेंद्र प्रसाद कौशल ने वर्ष 1985 से 'बुढ़ऊ-बूढ़ा' झांकी के साथ अपने कला कौशल की यात्रा शुरू की। बीच-बीच में जीवन की कठिनाइयों ने जरूर राह रोकी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मिट्टी की कला को ही अपनी साधना बना लिया। उनकी कला से बनाई गई झांकियां इतनी जीवंत और स्वाभाविक होती हैं कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। राजेन्द्र द्वारा लगाई गयी झांकी में समसामयिक मुद्दों जैसे दुश्मनी से दोस्ती का संदेश, घड़ियाली आंसुओं की पहचान, खेती-किसानी...
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