बुलंदशहर, अक्टूबर 14 -- बुलंदशहर। मां की ममता से बढ़कर कुछ हो नहीं सकता। मां से संतान भले ही अलग हो जाए, मगर मां कभी अपनी संतान को नहीं भूलती। हमेशा संतान का भला ही चाहती है। इसका प्रमाण हैं वृद्ध आश्रम में रहने वाली माताएं। संतान के व्यवहार से परेशान होकर घर छोड़कर वृद्धाश्रम में रह रही माताओं ने सोमवार को अहोई अष्टमी का व्रत रखा। जब उनसे पूछा कि बेटे उन्हें याद करते हैं, तो चुप हो गईं, और नजरें बचा लीं। सुबकते हुए रुंधे गले से सिर्फ इतना कहा, मां को तो बेटों की याद हरदम आती और सताती है। आखिर हम मां जो हैं। संतान को जन्म देने वाली मां हर समय उनकी भलाई, खुशहाली, दीर्घायु की कामना करती है। 10 महिलाओं में से छह ने रखा उपवास मोहनकुटी स्थित श्री सिद्धाश्रम में संचालित वृद्धाश्रम के ट्रस्टी, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत उपाध्याय ने बताया कि वृद्ध आ...
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