बिजनौर, जून 23 -- आर्य समाज आत्मानंद धाम के तत्वावधान में रविवार को 'कर्म विमर्श संगोष्ठी में सुमङ्गली यज्ञ, भजन व वेद प्रवचन के आयोजन सम्पन्न हुए। इस अवसर पर यज्ञोपरांत वैदिक विद्वान आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सब प्राणियों में मनुष्य ही वह प्राणी है कि जो अपने जीवन में जहां कर्मों को करता हुआ जीता है तो वहां वत्र्तमान जन्म व पिछले जन्मों के कर्मों के फलों को भी भोगता रहता है। इस कारण मनुष्य योनि को कर्म व भोगयोनि कहा गया है। शास्त्रों में कर्मों को अवस्था के भेद से क्रियमाण, सञ्चित व प्रारब्ध नाम से तीन भागों में बांटा गया है। मनुष्य जिस समय कोई कर्म कर रहा होता है तब उस समय किये जाते हुए कर्म को क्रियमाण कर्म कहते हैं। ये क्रियमाण कर्म भगवान के ज्ञान में सदा विद्यमान रहते हैं। जीव के जो कर्म अ...