शामली, अगस्त 18 -- रविवार को शहर के जैन धर्मशाला में श्री 108 विव्रत सागर मुनिराज अपने पूज्य गुरुदेव के मंगलकारी उपदेशों को साझा किया। कहा कि जिन्होंने अपनी आत्मा की शांति को प्राप्त किया है और शिष्यों व भक्तों के लिए शांति का उपदेश दिया करते हैं। मुनिराज उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि मनुष्य स्वभाव से ही शांति चाहता है और जन्म से ही शांत रहना चाहता है। जीव का प्रत्येक प्रयास शांति के लिए होता है। स्वामी जी बताते हैं कि लोक में सबसे आसान शांति है, क्योंकि सृष्टि में सभी वस्तुएं अपने आप में शांत हैं। अशांति का कारण केवल जीव ही है, जो स्वयं भी अशांत है और शांत वस्तुओं को भी अशांत करता है। उदाहरण के लिए, एक शांत सभा में कुर्सियां और स्टूल तब तक शांत रहते हैं जब तक कोई व्यक्ति उन पर बैठने नहीं ...