तिरुअनंतपुरम, दिसम्बर 3 -- केरल हाई कोर्ट ने मेंटनेंस के एक केस की सुनवाई के दौरान अहम फैसला दिया। अदालत ने कहा कि वैवाहिक संबंधों में व्यभिचार की बात परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से ही साबित की जा सकती है। जस्टिस कौसर ईदप्पागथ ने कहा कि सीआरपीसी के सेक्शन 125 के तहत मेंटनेंस का केस सिविल नेचर का है। यदि पति यह कह रहा है कि उसकी पत्नी के विवाहेतर संबंध हैं और वह व्यभिचार में शामिल हैं तो उसकी ओर से दिए गए परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही कुछ तय करना होगा। ऐसे मामलों में पक्के सबूत कहां मिलते हैं। ऐसा होना तो दुर्लभ ही होता है। अदालत ने कहा, 'पति जब यह आरोप लगाता है कि उसकी पत्नी व्यभिचार में शामिल है और इसलिए वह मेंटनेंस की हकदार नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में यदि वह परिस्थितिजन्य सबूत देता है तो वही पर्याप्त होगा। आमतौर पर ऐसी चीजें तो पूरी ...