मथुरा, नवम्बर 19 -- अविरल बहती कृष्ण प्रेम की धारा का नाम ही राधा है। कृष्ण की आराधिका ही राधिका है। राधाजी के बिना आराधना संभव नहीं। यह उद्गार प्रख्यात कथाकार रमेशभाई ओझा ने बुधवार को माताजी गोशाला में व्यासपीठ से व्यक्त किए। पद्मश्री संत रमेश बाबा के सानिध्य में भागवत कथा एवं सीताराम विवाहोत्सव के दूसरे दिन कथा में ब्रजभूमि की महिमा का सुमधुर वर्णन सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। रमेश भाई ने कहा कि सेवा का मूलभाव प्रेम है। सेवक को सदैव सेव्य के सुख का चिंतन करना चाहिए। यदि सेवक सेवा से ही अपना सुख ढूंढे तो वह सेवा भोग बन जाती है। उन्होंने कहा कि ब्रज का कण-कण राधाकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है। विशेषकर रमेश बाबा का पर्वत, लीलास्थली एवं यमुना संरक्षण में अप्रतिम योगदान है। उन्होंने अनेक स्थानों का जीर्णोद्धार कराया एवं कई लुप्त लीलास्थलि...
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