लखनऊ, मई 5 -- लखनऊ, कार्यालय संवाददाताा दीपांजलि संस्था की ओर से सोमवार को अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान प्रेक्षागृह में अवधी लोकगीत और लोकनृत्य की शाम सजी। समारोह में कलाकारों ने अवधी लोकगीतों की एक से बढ़कर प्रस्तुति दी। शाम की शुरुआत रिंकी सिंह और किरन के देवी गीत तोहरी शरण हम अवनि हैं जगदम्बे मइया के साथ हुई। इस क्रम में सोहर गीत के बाद मेला गीत बैल गाड़ी मा हमका बिठाय के पिया मेलवा घुमाय दा सुनाया गया। साथ ही विवाह गीत, चैती, खेमटा, नकट, चौमासा के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कलाकारों ने मोरे राजा छतरिया छवावो की रस के बूंद पड़ी को सुन्दरता के साथ पेश किया। इसमें ग्रामीण अंचल की झलक नृत्य के माध्यम से प्रभावी रूप में दर्शायी गई। किसानी गीत खेत मा झूमे गेहुंवा के डाली जइसे लागे, सोनवा के बाली, सासू पनिया कैसे जाऊं रसीने दोऊ नैना आकर्...
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