सुल्तानपुर, मार्च 6 -- सुलतानपुर, संवाददाता रोजे का मकसद -रोजे का सबसे अहम मकसद ये है कि इंसान कुछ देर के लिए अपने जिस्मानी लज्जतो की तरफ से रुक कर, रूह (आत्मा) को अपनी सफाई व पाकीजगी की ओर मुतवज्जे (ध्यान )देने का मौका दे। रोजा अल्लाह (ईश्वर) के हुक्म की फरमाबरदारी का बेहतरीन तरीका है। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहिस्सलाम ने रोजे की असल मकसद की तरफ ध्यान दिलाया है कि रोजा की हालत में झूठ न बोले, गलत कामों से बचें अगर ऐसा नहीं करता है तो रोजा रखने का कोई फायदा नही है। मौलाना मुहम्मद उस्मान कासमी ने बताया कि रमजान बरकतों और रहमतों का महीना है। इस महीने में की गई हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। इस दौरान मुसलमान बड़े शौक और जोश के साथ इबादत, गरीबों की मदद, जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं। मौल...