सहारनपुर, जून 5 -- इस्लाम मजहब में कुरबानी हर उस व्यक्ति पर फर्ज है जिसके पास अपनी जरुरत से ज्यादा रकम या माल हो। वह आकिल (अक्ल वाला) हो और बालिग (व्यस्क) हो। यह पर्व बाप-बेटे की मोहब्बत का नायाब नमूना ही नहीं बल्कि एक अजीम इबादत है। तीन दिनों तक मनाया जाने वाला ईद-उल-अजहा का पर्व शनिवार (7 जून) को पूरे मुल्क में एक साथ मनाई जाएगी। अक्सर कुरबानी के पर्व पर लोग यह कहते सुनाई देते हैं कि कुरबानी के नाम पर बेवजह लाखो पशुओं का कटान कर दिया जाता है। उलेमा-ए-कराम का कहना है कि यह पर्व हजरत इब्राहिम (पिता) और इजरत इस्माईल (पुत्र) की यादगार है जिन्होंने अल्लाह के हुक्म को पूरा किया था। जिसे अल्लाह रब्बुल इज्जत ने हर साहिब-ए-हैसियत (आर्थिक रुप से मजबूत) व्यक्ति पर फर्ज है। फतवा आन लाइन के प्रभारी मुफ्ती अरशद फारुकी ने बताया कि जिस व्यक्ति के पास स...