मुंबई, जून 11 -- बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के उस प्रस्ताव (GR) के औचित्य पर सवाल उठाया है, जिसमें राज्य के अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को जूनियर कॉलेज के प्रथम वर्ष अर्थात ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करते समय संवैधानिक और सामाजिक आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया गया है। जस्टिस एम एस कार्णिक और जस्टिस एन आर बोरकर की पीठ ने सरकारी वकील नेहा भिड़े से इस बारे में सरकार से निर्देश लेने को कहा कि क्या सरकार छह मई को जारी जीआर में संबंधित खंड को वापस लेने या शुद्धिपत्र जारी करने के लिए तैयार है या नहीं? पीठ ने भिड़े से कहा, ''आप (सरकार) अल्पसंख्यक संस्थानों को जीआर के दायरे में क्यों लेकर आए? अल्पसंख्यक संस्थानों को इससे तो छूट मिली हुई है। आप इसे बाहर करें। हर बार आपको अदालत के आदेश की जरूरत क्यों प...