पटना, दिसम्बर 11 -- समाजवादी चिंतक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और दार्शनिक लेखक अरुण भोले का निधन भारतीय वैचारिक विरासत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी धर्म, दर्शन, विश्व-इतिहास और राजनीति पर गहरी पकड़ थी और उन्हें देशभर में एक सम्मानित और गंभीर विचारक के रूप में स्थापित किया था। ये बातें बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष प्रो. रणबीर नंदन ने कही। मालूम हो कि अरुण भोले का गुरुवार को अहमदाबाद में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के वे निकट सहयोगी रहे और स्वतंत्रता आंदोलन के सक्रिय सेनानी भी थे। मूल रूप से दरभंगा के भवानीपुर निवासी भोले अपने पीछे एक पुत्र, एक पुत्री और चार पौत्र-पौत्रियां छोड़ गए हैं।

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