भागलपुर, मार्च 6 -- फारबिसगंज, एक संवाददाता। प्रखंड के भागकोहलिया पंचायत के चौरा परवाहा गांव स्थित सत्संग मंदिर में जारी सप्ताह ध्यान अभ्यास तथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन गुरुवार को प्रात: कालीन सत्संग में उत्तरकाशी से आये जवाहर बाबा ने अपने प्रवचन में कहा कि सदाचार, शिष्टाचार और शुच्याचार धर्म की रीढ़ है। जैसे समस्त शरीर का अवलंब पीठ की रीढ़ है, वैसे ही समग्र धर्मों के स्वरूप का आधार ये तीनों आचार है। रीढ़ को ही योगशास्त्र में मेरु दंड कहा गया है। जैसे मेरु दंड में विकृति पैदा होने से हमारा पूरा शरीर विकृत हो जाता है, वैसे ही तीनों आचारों में विकृति होने से समस्त योग-ध्यान और भक्ति विकृत हो जाता है। कहा कि तीनों आचारों पर आधारित भक्ति,योग और ज्ञान के समग्र अंग हैं। यदि तीनों आचारों के पालन में थोड़ी भी त्रुटि रह जाती है अथवा आचार तनिक भी कलंकित ...
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