भागलपुर, जुलाई 19 -- फारबिसगंज । एक संवाददाता भारत में विभिन्न धर्मानुलम्बियो का वास है। जिसमें जैनधर्म के धर्मानुलंबी की संख्या अल्पसंख्यकों में आती है। कम संख्या होने के बावजूद भी जैनी समाजसेवा में ऐसा कार्य कर देते हैं, जो अन्य समाज के लिए उदाहरण बन जाता हैं। इसकी एक मिसाल है तेरापंथ जैन समाज। आज के समय में साधार्मिक वात्सलता का अनूठा उदाहरण है तेरापंथ समाज,जहां पर बढ़-चढ़ करके लोग समाज के हित के कार्यों को करने में आगे रहते हैं। फारबिसगंज में भी तेरापंथ समाज की ये सभी संस्थाएं सुचारू रूप से अपने कार्य में संलग्न है। फिर चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो, राजनीतिक क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या शिक्षा संबंधी क्षेत्र,हर क्षेत्र में वह अपनी सेवा देकर अपना परचम लहरा जाती है। विगत 38 वर्षों से फारबिसगंज तेरापंथ सभा के द्वारा संचालित होम्योपैथिक क...